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कूल्हा

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कूल्हा संज्ञा पुं॰ [सं॰ क्रोड़ = कोड़, कोल अथवा देश॰]

१. कोख के नीचे, कमर में पेड़ के दोनों ओर निकली हुई हड़िडयाँ । मुहा॰—कूल्हा उतरना या सरकना = गिरने या किसी प्रकार का आघात लगने के कारण कूल्हे का अपने स्थान से हट जाना । कूल्हा मटकाना = चूतड़ मटकाना ।

२. कुश्ती का एक पेच, जिसमें पहलवान सामने खड़े हुए विपक्षी की पीठ पर दाहिनी तरफ से अपना दाहिना हाथ ले जाकर उसका दाहिना जाँघिया पकड़ता है और अपने बाएँ हाथ से से लाद कर सामने चित गिराना है ।